Wednesday, 27 August 2008

" हँसी कुदरत की सबसे बड़ी नेमत है "


" सुबह - सुबह पार्को में जोर-जोर से समूह बनाकर हँसते लोग, टेलीविजन पर राजू श्रीवास्तव को देखकर अस्पतालों में बेड पर लेटे और बैठकर हँसते लोग , ऑफिस में चाय की चुस्कियां लेते और भारत को क्रिकेट में जीतते देखकर हँसते लोग, चाय के ढाबे पर काम करते-करते हँसी-ठिठोली करते बच्चे और ओल्ड एज होम्स में एक-दूसरे की दुर्दशा पर चुहलबाजी कर हँसते अनाथ निशक्तजन !"

यह है कुदरत की सबसे बड़ी नेमत हँसी और उसका ग्लोबल चेहरा ।

वह जो नवजात है अपनी माँ की ममतामयी छांव में खेल रहा है, वह जो 90 साल का बूढा है अपनी जीवनसंगिनी के हाथ को थामे बगीचे में टहल रहा है, दोनों के मुँह में दाँत नहीं है.... लेकिन हँसी है ।

कहते हैं ...हँसी न हो तो जीवन शमशान की मिट्टी जैसा सख्त हो जाए। हँसी जन्नत को धरती पर ले आती है। भूखे खाली पेट इंसान को इसे खाने के लिए रूपया नहीं चुकाना पड़ता। इस कल्पवृक्छ की छाँव अथाह है।

आज हँसाकर रोगी का इलाज किया जाता है। हँसी-खुशी दोस्त मिलते हैं। जिन्दगी के पलों को यादगार बनाते है। तेजी से दौड़ती जिन्दगी पूरा स्वाद देने लगती है। सूरज की पहली किरण, धरती के असंख्य फूलोँ को हँसाती है। हँसी की आजाद आवाज प्रकृति के मन्दिर में घंटियों की मीठी राग छेड़ जाती है

जीवन में सब कुछ हाथ से रेत की तरह फिसल जाता है.... बस हँसी ही हाथ थामे हँसती रहती है।

3 comments:

दलिप कुमार मीना said...

hasi hee sab kuch nahee hoti hai koai jab andar se khush nahe ho usake lia hasee ka koai mayana nahee hai .friends.
dalip kumar
(Rajasthan.
sikar.
neemkathana.
nayabas)

Parveen Kr Dogra said...

apko nahi lagta hai ki aaj logo ki hasee artificial ho gayi hai? aaj hasne ke mayne badal gaye hai. tabhi to raju srivastva jaise kalakaron ki jarurat padne lagi hai. logon ko jabardasti hasane ki koshish bhar hai.

meri marzi said...

yaar mei sochta hoo ki kya aaj hasi or mukaan k alag alag matlab ho gaye hai. aaj hasi maximum times fool banane k liye use ki jati hai. hasi ka negative factor tumhe jaroor highlight karna chahiye jiske bina hasi ki charcha adhuri hai. or muskan k bare mei tumhara kya khayal hai. mujhe lagta hai aaj muskan, hasi se jyada masoom hai.
kayi baar iss jhooti hasi k pichhe kayi ladko ki jindgi kharab ho jati hai. ek sher suna hai.....
"aati thi, jaati thi,
muskurati thi,
do din pata chala
----- banati thi."

hasi hasi mei jaan chali jati hai.

mujhe lagta hai ki ye ek rehsya hai.